शुक्रवार, 20 नवंबर 2015

रामायण- मीमांसा

श्रीमद्वाल्मीकि  – रामायण  पर    सनातनधर्म  विरोधी   कामिक  बुल्के  जैसे  कुतार्किकों  सहित  समस्त   पाश्चात्य – विचारधारा  के   संवाहकों   द्वारा  किये  गए  समस्त   आक्षेपों    का  परमपूज्य  धर्मसम्राट्  स्वामी  श्री  करपात्री  जी  महाराज   के  कृपा  – कटाक्ष  से    मुंहतोड़  परिहारात्मक –  प्रत्युत्तर  : –
रामायण- मीमांसा

धर्म की जय हो !
अधर्म का नाश हो !
प्राणियों में सद्भावना हो !
विश्व का कल्याण हो !
गोहत्या बंद हो !
गोमाता की जय हो !
हर हर महादेव !

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