सोमवार, 8 फ़रवरी 2016

इस प्रकार अद्वैत वेदान्त का किसी भी दर्शन से विरोध नहीं है , अपितु सभी दर्शन नदियों के समुद्र विलय की भांति अद्वैत वेदान्त में ही समाते हैं |


श्री आद्यशंकराचार्य के लगभग ३०० वर्ष पश्चात् श्री रामानुजाचार्य ने ब्रह्म का जो निरूपण किया है , वह सब श्री आद्य शंकराचा...

Posted by धर्मसम्राट स्वामी करपात्री on Monday, 8 February 2016

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें