काशी के घाट पर सारे देश के सामने एक तेली और एक म्लेच्छ वेदमंत्रों से तिलक आचमन पूर्वक अभिषेक प्राप्त किये ....
...........कहाँ गयी श्री आद्य शंकराचार्य की परम्परा ??? कहाँ गया उनके आदेशों /उपदेशों का मान ???...
...........कहाँ गयी श्री आद्य शंकराचार्य की परम्परा ??? कहाँ गया उनके आदेशों /उपदेशों का मान ???...
....काशी के पंडत कहिये या काशी के खंडित - एक ही बात है !
अब नहीं बोला कोई स्वघोषित ठेकेदार ....
....................बहती गंगा नहीं है अन्यथा हाथ धो लेते स्वार्थी !
तथाकथित भगवाधारी धर्मधूर्त जितना जोश स्वार्थपूर्ति में दिखाते हैं , उसका एक अंश भी आजत तक परमार्थ में दिखाए होते तो सनातन धर्म की आज ये दुर्दशा न हो रही होती !
|| जय श्रीराम ||
अब नहीं बोला कोई स्वघोषित ठेकेदार ....
....................बहती गंगा नहीं है अन्यथा हाथ धो लेते स्वार्थी !
तथाकथित भगवाधारी धर्मधूर्त जितना जोश स्वार्थपूर्ति में दिखाते हैं , उसका एक अंश भी आजत तक परमार्थ में दिखाए होते तो सनातन धर्म की आज ये दुर्दशा न हो रही होती !
|| जय श्रीराम ||
Posted by धर्मसम्राट स्वामी करपात्री on Saturday, 12 December 2015