गीताप्रेस गोरखपुर से प्रकाशित गीता के अर्थ में बहुत दोष हैं , अनेक
स्थलों पर ये अर्थ श्लोकों का सही अभिप्राय प्रकट नहीं करते | मनगढ़ंत
पद्धति से अर्थ किये जाने से गीताप्रेस की गीता में कोई एकरूपता नहीं है |
........बनियों ने सारा गुड गोबर कर रखा है |
|| जय श्रीराम ||
|| जय श्रीराम ||


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